अस्सलामु अलयकुम उम्मीद है के आप सब ख़ैरियत से होंगे। आज आप लोगों को हम Dua Mangne Ka Tarika Hindi Mein बताएंगे। दुआ शब्द का अर्थ हे बुलाना, पुकारना, दुआ इंसान खाली अल्लाह तआला से ही मांग सकता हे। दुआ शब्द का इस्तिमाल अल्लाह तआला से दुआ करने केलिए होता है। हर इंसान दुआ का मोहताज है ।
आज के इस लेख मैं दुआ मांगने का तरीका हिंदी में Dua Mangne Ka Tarika in Hindi सही हादीस से आप जानेंगे। दुआ के आदाब, दुआ मांगने की जगा, वो कोन है जिनकी दुआ क़बूल होती हे, इंशा अल्लाह इन सब चीजों के बारे में जानेंगे।
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Dua Ka Zikr Quran Me
क़ुरआन मजीद में बोहत सारी जगहों पर दुआ का जिक्र आया हे। और हमें जब भी कोई चीज़ की ज़रूरत हो तो हम अल्लाह से दुआ मांगे मिसाल के तोर पर औलाद, रोज़ी, बीमारी में अल्लाह से दुआ मांगे । अल्लाह से दुआ करने से पहले दुआ मांगने का तरीका इंसान को मालूम होना ज़रूरी है अल्लाह तआला फ़रमाता
1 दुआ का ज़िक्र क़ुरआन में: “और तुम्हारे रब का फ़रमान हे की मुझसे दुआ करो में तुम्हारी दुआ क़बूल करूंगा” (सूरह गाफ़िर 60)
2 Dua Ka Zikr Quran Me: “जब मेरे बंदे मेरे बारे में आप से पूछे तो आप केह दीजये के में बोहत ही क़रीब हूं, हर पुकारने वाले की पुकार (दुआ) को जब भी वो मुझे पुकारे क़बूल करता हूं” (सूरह बक़रह 186)
3 दुआ का ज़िक्र क़ुरआन में: “और अल्लाह तआला के अच्छे अच्छे नाम हें, पस तुम अल्लाह को उन्हीं नामों से पूकारो” (आराफ़ 180)
Dua Ka Zikr Hadees Main
दुआ का ज़िक्र हदीस में: “नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया की अल्लाह तबारक व तआला हर रात आसमानी दुनया की तरफ़ उतरता हे, उस वक़्त जब रात का आखरी तिहाई हिस्सा बाक़ी रेह जाता है और फ़रमाता हे कोन हे जो मुझसे दुआ करता हे के में उसकी दुआ क़बूल करू” (बुखारी 6321)
Dua Mangne Ka Tarika
दुआ का ज़िक्र हमने क़ुरआन में और हदीस में देख लिया है अब हम दुआ का तरीका जानेंगे के Dua Mangne Ka Tarika Kya Hai।
दुआ मांगे का तरीक़ा ये हेकी इन्सान अल्लाह तआला से पूरी आजिज़ी और अपने आप को अल्लाह के आगे बिल्कुल झुका कर पूरे खालिस दिल के साथ अल्लाह को अपना रब मानते हुए दुआ मांगे ।
Dua Karne Ka Tarika
- दुआ के लिए सबसे पहले वज़ू करे
- दुआ के लिए क़िबला की तरफ़ मुंह करके बेठे
- दोनों हाथों को बगलों तक उठा कर दुआ मांगे
- दुआ में सबसे पहले अल्लाह की हमदो सना बयान करे
- उसके बाद अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर दरूद भेजें
- फ़िर अपने लिए दुआ करें
- उसके बाद माता पिता के लिए दुआ करें
- उसके बाद जिसके लिए चाहे दुआ करें
- उम्मते मुहम्मदिया के लिए दुआ करें
- आमीन केहकर दरूद शरीफ़ पढ़कर दुआ को खतम करें
- दुआ में जल्दबाज़ी न करें
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दुआ अल्लाह से ही मांगना चाहिए
Allah Se Dua Mangne Ka Tarika 1: और अल्लाह को छोड़ कर ऐसी चीज़ की इबादत मत करना जो तुझ को न नफ़ा पोहचा सके न नुक़सान पोहचा सके, फ़िर अगर ऐसा किया तो तुम उस हालत में ज़ालिमों में से हो जाओंगे (यूनुस 106)
Allah Se Dua Mangne Ka Tarika 2: और तुम्हारे रब का फ़रमान हे की मुझसे दुआ करो में तुम्हारी दुआओं को क़बूल करूंगा” (सूरह गाफ़िर 60)
Allah Se Dua Mangne Ka Tarika 3: तुम लोग अपने परवरदिगार से दुआ मांगा करो गिड़गिड़ा के भी और चुपके चुपके भी बेशक अल्लाह तआला उन लोगों को न पसंद करता हे जो हदसे निकल जाए (सूरह आराफ़ 55)
Dua Ke Liye Wazu Karna aur Hath Uthana Hadees
Dua karne Ke Liye वज़ू करना इस हदीस पढ़े अबू मूसा रज़ियल्लाहु अनहु से रिवायत हे की नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने पानी मांगा फ़िर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने वज़ू किया, फ़िर हाथ उठा कर ये दुआ की ए अल्लाह ऊबेद अबू आमिर की मगफ़िरत फ़रमा (बुखारी 6383)
दुआ के लिए किबला की तरफ़ मुंह करना हदीस
दुआ करने के लिए क़िबला की तरफ मुंह करना इस हदीस जंगे बदर के मोके पर जब अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने देखा की मुशरीकीन 1000 हे और आप के सहाबा सिर्फ़ 319 थे तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने क़िबले की तरफ़ होकर दुआ मांगी । इससे हमें पता चलता की दुआ के टाइम क़िबला की तरफ़ मुंह करके दुआ मांगे ।
Dua Me Allah Ki Tareef aur Nabi (S.W) Par Darood Bhejna
नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जब तुम में से कोई नमाज़ पढ़े तो (तशहूद) में सबसे पहले अल्लाह तआला की हमदों सना बयान करे, फ़िर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर दरूद भेजे, और उसके बाद जो दिल में आए दुआ मांगले (तिरमिज़ी 3477)
दुआ में तीन तीन बार Dua Mangna
आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने तीन बार फ़रमाया ए अल्लाह क़ुरैश को पकड़ ले (बुखारी 240)
मौत की दुआ नहीं मांगना
क़ेस बिन अबी हाज़िम ने बयान किया, कहा की में खब्बाब बिन अल-अरत रज़ियल्लाहु अनहु की खिदमत में हाज़िर हुवा उन्हों ने 7 दाग (किसी बिमारी के इलाज के लिए) लगवाए थे । उन्हों ने कहा रसू लुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अगर मौत की दुआ करने से मना ना किया होता तो में ज़रूर मौत की दुआ करता (बुखारी 6349)
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Kin Logon Ki Dua Qabool Hoti Hai
इस्लाम में कुछ लोगों को Mustajabud Dawat कहा जाता हे । ये वो लोग हे जिनकी मांगी हुई दुआ क़बूल होती हे । और इन्हीं लोगों को मुसतजाबुद दावात कहा जाता है।
हर नबी की दुआ क़बूल होती है
“अबूहुरैरह रज़ियल्लाहु अनहु ने फ़रमाया की नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया हर नबी को एक दुआ हासिल होती हे (जो क़बूल की जाती है) और में चाहता हूं के में अपनी दुआ को आखिरत में अपनी उम्मत की शिफ़ाअत केलिए मेहफ़ूज रखूं” (बुखारी 6304)
“अबूहुरैरह रज़ियल्लाहु अनहु से रिवायत हे के नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया तीन दुआएं क़बूल होती हें मज़लूम इंसान की दुआ, मुसाफ़िर की दुआ, और बाप की बददुआ अपने बेटे केलिए” (तिरमिदी 3448)
“नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया अपने मुसलमान भाई के लिए उसकी पीठ के पीछे मांगी जाने वाली दुआ क़बूल होती हे, उसके सर के पास एक फ़रिश्ता रेहता है, वो जब भी अपने भाई केलिए दुआए खेर मांगता हे तो उसका फ़रिश्ता आमीन केहता हे और केहता हे तुम्हें भी उसके जैसा अता हो” (मुस्लिम 273)
हराम खाने वालों की दुआ कबूल नहीं होती
“नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने एक आदमी की मिसाल देकर फ़रमाया जो लम्बे सफ़र में गंदे हालत के साथ दोनों हाथ आसमान की तरफ़ उठा कर या रब! या रब! की आवाज़े लगाता हे, हालांके उसका खाना हराम का, पीना हराम का, कपड़े हराम के, उसकी परवरिश हराम पर हुई, तो उसकी दुआएं कयुकर कुबूल हों ?” (मुस्लिम 1015)
Dua Se Achi Koi Cheez Nahi
“अबूहुरैरह रज़ियल्लाहु अनहु से रिवायत हे के आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया अल्लाह तआला के नज़दीक दुआ से मुकररम कोई चीज़ नहीं” (तिरमिदी 3370)
बंदा जब दुआ मांगता है तो अल्लाह को खाली लौटाने में शर्म आती है हदीस
“सलमान फ़ारसी रज़ियल्लाहु अनहु से रिवायत हे के नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया अल्लाह को शर्म आती हे जब कोई आदमी अल्लाह के सामने हाथ फैलाए तो वो उसके दोनों हाथों को खाली और नाकाम व नामुराद वापस करदे” (तिरमिदी 3556)
यानि आदमी को हमैशा अपने रबसे दुआ मांगते रेहना चाहिए । कियुंके दुआ हमैशा कबूल होती हे । यातो दुआ तुरंत कबूल करली जाती है यातो कोई बुराई उससे टाल दी जाती है, यातो उसे आखिरत के लिए बचाकर रखा जाता हे । आदमी को चाहिए की वो अपने रब से खूब दुआ मांगे। किईंके दुआ में फ़ाईदा ही फ़ाईदा हे । अल्लाह हमें दुआ की तौफ़ीक़ दे आमीन।
Dua Qabool Hone Ka Time aur Jagah
1.Dua Qabool Hone Ka Time: नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया अल्लाह तआला हर रात आसमानी दुनया पर आता हे जब रात का तिहाई हिस्सा बाक़ी रेहजाता है वो केहता है कोई जो मुझसे दुआ मांगने वाला की में उसकी दुआ कबूल करूं, कोई मुझसे मांगने वाला की में उसे दूं, कोई मुझसे बख़्शिश मांगने वाला की में उसे बख़्श दूं (बुखारी 1145)
2. Dua Qabool Hone Ka Time: अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अनहु से रिवायत हे के रसू लुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया अज़ान और इक़ामत के बीच मांगे जाने वाली दुआ रद नहीं होती (अबू दावूद 521)
3. Dua Qabool Hone Ka Time: जाबिर रज़ियल्लाहु अनहु से रिवायत हे के नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया रात के वक़्त एक ऐसा टाइम हे जिसमें कोई भी मुसलमान दुनया व आखिरत की भलाई मांगे तो उसे वो चीज़ देदी जाती है, और ये घड़ी (टाइम) हर रात आती हे। (मुस्लिम 757)
4. Dua Qabool Hone Ka Time: रसू लुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जुमा के ज़िक्र में एक दफ़ा फ़रमाया की जुमा के दिन एक ऐसी घड़ी आती हे जिसमें अगर कोई मुसलमान बंदा खड़ा नमाज़ पढ़ रहा हो और कोई चीज़ अल्लाह पाक से मांगे तो अल्लाह पाक उसे वो चीज़ ज़रूर देता है । आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हाथ के इशारे से बताया की वो कबूलियत की घड़ी बोहत थोड़ी से है।” (बुखारी 935)
5. Dua Qabool Hone Ka Time: अबूहुरैरह रज़ियल्लाहु अनहु से रिवायत हे के नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया बंदा सजदे की हालत में अपने रबसे क़रीब हालत में होता हे, इसलिये सजदे की हालत में ज़्यादा दुआ मांगा कारों।” (मुस्लिम 482)
6. Dua Qabool Hone Ka Time: उम्मे सलमा रज़ियल्लाहु अनहा कहती हे मेने नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को फ़रमाते हुए सुना कोई भी मुसलमान किसी भी मुसीबत पर अल्लाह के हुक्म के मुताबिक़ केहता है, बेशक हम अल्लाह के लिये हें, और अल्लाह की तरफ़ वापस जाएंगे, या अल्लाह मुझे मेरी मुसीबत में अज़्र अता फ़रमा और मुझे इससे अच्छा बदला नसीब फ़रमा, तो अल्लाह तआला उसे उससे अच्छा बदला ज़रूर देगा” (मुस्लिम 918)
इन दुआओ को पढ़े: Namaz ke Baad ki Dua in Hindi
Dunya aur Akhirat Ki Bhalai Ki Dua
अनस रज़ियल्लाहु अनहु ने बयान किया की नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अक्सर ये दुआ किया करते थे
اللَّهُمَّ رَبَّنَا آتِنَا فِي الدُّنْيَا حَسَنَةً، وَفِي الآخِرَةِ حَسَنَةً، وَقِنَا عَذَابَ النَّارِ
दुआ:अल्लाहुम्म रब्बना आतिना फ़िद्दुन्या ह-स-नातव, व फ़िल आख़िरति ह-स-नातव, व क़िना अज़ाबन्नार
तर्जुमा: ए अल्लाह। हमें दुन्या में भलाई अता कर और आखिरत में भलाई अता कर और हमें दोज़ख से बचा (बुखारी 6389)
आप (स.अ.व.) की अक्सर पढ़ी जाने वाली दुआ
“नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अक्सर ये दुआ मांगा करते थे
दुआ: अल्लाहुम्म इन्नी अऊज़ु बि-क मिनल हममि वल हज़नि, वल अजज़ि वल कस्लि, वल बुख्लि वल जुबनि, व ज़-ल-इद-दैनि, व ग-ल-बतिर रिजालि
तर्जुमा: ए अल्लाह में तेरी पनाह मांगता हु गम व अलम से, आजिज़ी व कमज़ोरी से, और बुख्ल से और बुज़दिली से और क़र्ज़ के बोझ से और इंसानों के गलबे से” (बुखारी 6363)
आखरी बात: आज के इस लेख दुआ मांगने का तरीका हिंदी में Dua Mangne Ka Tarika in Hindi Mein बताया गया हें दुआ का तरीक़ा, दुआ केसे मांगे, दुआ किसकी कबूल होती है, और कुछ खास दुआएं बताई गई है । बस आप से आखरी में यही निवेदन हेकी इस लेख लिखने वाले को अपनी दुआ में याद रखें।